शिक्षिका की फर्जी उपस्थिति ने खोली सरकारी स्कूल की पोल
भटगांव कॉलरी में उजागर हुई लापरवाही की बड़ी तस्वीर
मोहन प्रताप सिंह
रुद्रपथ, सूरजपुर/भटगांव:--शिक्षा व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाते हुए भटगांव कॉलरी स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में एक चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। विद्यालय की शिक्षिका कौशल्या द्वारा आगामी तारीख की फर्जी उपस्थिति दर्ज करने का मामला उजागर हुआ है। प्राप्त तस्वीरों के अनुसार, शिक्षिका ने 25 अगस्त की उपस्थिति को पहले ही उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज कर दिया है, जबकि वह तारीख अभी आई ही नहीं है।
यह घटना न केवल सरकारी विद्यालयों में व्याप्त शिथिल अनुशासन और लचर निगरानी व्यवस्था की ओर इशारा करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कुछ शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से कितने बेपरवाह हो चुके हैं। यह शैक्षणिक भ्रष्टाचार का एक जीता-जागता उदाहरण है, जो बच्चों के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ है।
शिक्षा के मंदिर में हो रही हाजिरी की दलाली
स्कूलों को ज्ञान का मंदिर कहा जाता है, लेकिन जब शिक्षक ही अपने कर्तव्य से विमुख होकर अनुचित लाभ लेने लगें, तो वह शिक्षा नहीं बल्कि सुविधाजनक सरकारी नौकरी बनकर रह जाती है। उपस्थिति रजिस्टर में आगामी दिन की हाजिरी भरना नियमों की सीधी अवहेलना है, और यह सवाल उठाता है कि कहीं यह स्कूल में रोज़मर्रा की आम प्रथा तो नहीं?
स्थानीयों में आक्रोश, उठी कड़ी कार्रवाई की मांग
घटना की जानकारी सामने आने के बाद स्थानीय ग्रामीणों में भारी रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले ही शिक्षक समय पर स्कूल नहीं आते, और अब फर्जी उपस्थिति दर्ज कर पढ़ाई के नाम पर सरकारी वेतन वसूलना बच्चों के साथ धोखा है। ग्रामीणों ने शिक्षिका को निलंबित कर विभागीय जांच की मांग की है।
एक ग्रामीण ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा, अगर शिक्षक पहले से हाजिरी भरेंगे, तो बच्चों को ईमानदारी कौन सिखाएगा?
एक अन्य नागरिक ने कहा, सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन कुछ लापरवाह शिक्षक उस भरोसे को चौराहे पर नीलाम कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग का बयान, दोष सिद्ध होने पर होगी कार्रवाई
जब इस विषय में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि मामला गंभीर प्रकृति का है और इसकी जांच कराई जाएगी। अधिकारी ने कहा, अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नियमों की खुली अवहेलना
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा सभी शासकीय विद्यालयों में डिजिटल और बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू करने के सख्त निर्देश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके, कई विद्यालयों में हस्तलिखित रजिस्टरों के दुरुपयोग से शिक्षकों की मर्जी की उपस्थिति भरने की प्रवृत्ति सामने आ रही है। इससे न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता गिर रही है, बल्कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी हो रहा है।
अब सवाल ये है
क्या इस शिक्षिका पर कोई कठोर कार्रवाई होगी? क्या शिक्षा विभाग इस मामले को सिर्फ जांच के नाम पर टाल देगा? और सबसे अहम, क्या बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के प्रति कोई जवाबदेही तय की जाएगी? यदि अब भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह साफ संकेत होगा कि सरकारी स्कूलों में नियम किताबों में हैं, जमीन पर नहीं।