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कोण्डागांव जिले में अवैध रेत खनन का गोरखधंधा प्रदेश मे चल रहा माफियाराज

कोंडागांव - छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले में इन दिनों अवैध रेत खनन का कारोबार चरम पर है। माफिया बेखौफ होकर रात के अंधेरे में नदियों से रेत निकालकर पड़ोसी राज्य उड़ीसा तक पहुंचा रहे हैं, और आश्चर्यजनक रूप से खनिज विभाग एवं पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बने बैठे हैं। यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि कानून व्यवस्था और शासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करती है।

माकड़ी ब्लॉक के दण्डवन गांव में अवैध खनन

स्थानीय जागरूक ग्रामीणों ने बताया कि माकड़ी विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत दण्डवन में नारंगी नदी से दो स्थानों पर रात में अवैध रूप से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। मौके पर जब पत्रकारों की टीम पहुंची, तो देखा गया कि भारी संख्या में टिपर वाहन अवैध रेत ले जा रहे हैं।

इनमें से एक वाहन चालक राहुल यादव ने बताया कि वह उड़ीसा रेत ले जा रहा है, और यह वाहन देवनाथ प्रधान का है। उसने खुलासा किया कि उसे देवनाथ के कहने पर ही यह कार्य करना पड़ता है। कुछ ही दूरी पर एक पोकलैंड मशीन भी काम कर रही थी, जिससे बड़े पैमाने पर रेत की खुदाई हो रही थी। मशीन चालक जगबंधु, जो उड़ीसा का निवासी है, ने बताया कि उसे 2200 रुपये प्रति घंटे की दर से भुगतान किया जा रहा है, लेकिन रेत कहां भेजी जा रही है, इसकी जानकारी उसे नहीं है।

माफिया का आतंक और पत्रकारों पर दबाव

मीडिया टीम जब इस अवैध गतिविधि की कवरेज कर वापस लौट रही थी, तभी लगभग 25-30 लोगों ने उन्हें घेर लिया। इन लोगों ने पत्रकारों से आक्रामक लहजे में पूछा कि "यहां किसके कहने पर आए हो?" और धमकी देते हुए कहा कि “यहां दोबारा मत आना, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।” यह स्पष्ट संकेत है कि अवैध रेत कारोबार में संगठित गिरोह सक्रिय हैं, जिनके पास

पर्यावरणीय और सामाजिक असर

अवैध रेत खनन से न केवल नदी की जैवविविधता को नुकसान पहुंचता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्तर गिरता है, खेतों की उर्वरता प्रभावित होती है और पुल-पुलियाओं की नींव कमजोर होती है। इसके अलावा, यह स्थानीय संसाधनों की लूट है, जिससे शासन को राजस्व की भी हानि होती है।


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